अपने इसी दोस्ती के बूते पर (कीमत पर नहीं) उनका चरित्र-चित्रण करना अपना हक मानता हूँ।
2.
यह स्पष्टहै कि चरित्र-चित्रण करना वर्मा जी का उद्देश्य नहींहे क्योंकिचरित्रोंके मार्मिक-पक्षों के उद्घाटन की प्रव़्अत्ति भी प्रायःनहीं दीख पड़ती.
3.
आपके बस की बात नहीं है मेरा चरित्र-चित्रण करना. कुछ न कुछ कमी सी रह जा रही है …….
4.
मित्रों, यहाँ इस लेख में हमारा उद्देश्य लालू का चरित्र-चित्रण करना कतई नहीं है लेकिन उन्होंने जो कुछ भी कहा था बिलकुल ठीक कहा था.
5.
रोटी-रोजगार, तीज-त्यौहार सबही तो कर लेईबे, बढ़िया गाड़ी, मकान सब कुछ दिए रहिन ई शहर, घर अब काहे जाईबै? काहे कलम घिसत हो भाई लोग? गर कुछ करनें का जज़्बा हो तो बड़े शहरों के लोगों का चरित्र-चित्रण करना बंद करों और इन सभी बातों पर गौर करो।
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रोटी-रोजगार, तीज-त्यौहार सबही तो कर लेईबे, बढ़िया गाड़ी, मकान सब कुछ दिए रहिन ई शहर, घर अब काहे जाईबै? काहे कलम घिसत हो भाई लोग? गर कुछ करनें का जज़्बा हो तो बड़े शहरों के लोगों का चरित्र-चित्रण करना बंद करों और इन सभी बातों पर गौर करो।